जिंदगी आगाज है
जिंदगी आगाज है अंजाम यारों मौत है
इस सफर का आखिरी पैगाम यारों मौत है
व्याधियों से टूटता लाचार तन बेबस सा मन
ऐसे तन मन के लिए इनाम यारों मौत है
बेसबब बेकार बोझल आजकल है जिंदगी
खुशनुमा खामोश पर गुमनाम यारों मौत है
रूह जो सारी उम्र चलकर थकी हैरान है
दो घड़ी उसके लिए आराम यारों मौत है
जागती सुनकर जिसे चोला बदलने की ललक
आत्मा के वास्ते वह नाम यारों मौत है
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
13 वी रचना