“जिंदगी अधूरी है जब हॉबबिओं से दूरी है”
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल”
============================
यह कहना उचित होगा कि मनुष्य अपने जन्म के बाद होश संभालते अपनी हॉबबी से जुड़ जाते हैं ! जीवन के लक्ष्यों के साथ -साथ अपनी हॉबबी को हरेक व्यक्ति अक्षुण रखता है ! अपने खालीपन को अपनी विभिन्य गतिविधियों से जुड़ कर एक अद्भुत आनंद का अनुभव करता है ! एकाकी रहते हुए मानव हमेशा खुश रहता है जब उसका सानिध्य उनकी हॉबबी से हो जाती है !
किताबें पढ़ना ,कविता लिखना ,कहानियाँ पढ़ना और लिखना ,नृत्य सीखना,गायन में रुचि रखना,संगीत सुनना ,वाध्य यंत्र बजाना ,अलग -अलग भाषाओं को सीखना और बहुत सी प्रक्रिया को करना अपने हॉबबी को विकसित करना कहते हैं ! एक्स्ट्रा केरीकुलर ऐक्टिविटिज और खेलकूद भी व्यक्तित्व के विकास में अहम योगदान देता है परंतु ये दोनों हॉबबी के दायरों से पूर्णतः भिन्य हैं !
जब कभी भी हम अपनी बयोडेटा सकक्षात्कार के समय देते हैं उस समय हमें अलग अलग तीन कोलॉम भरने को कहा जाता है
1. एक्स्ट्रा केरीकुलर ऐक्टिविटिज
2. खेलकूद और
3.हॉबबी !
यह लिखना अनिवार्य होता है कि आपकी हॉबबी क्या है ? संघीय लोक सेवा आयोग ,बैंकिंग सेवा ,सर्विस सिलेक्शन बोर्ड और तमाम प्राइवेट कंपनियों के साक्षात्कार में बिल्कुल गहराइयों से हॉबबी के विषय में पूछे जाते हैं ! इन विषयों के अनुभवी अपने सहयोगियों के हॉबबी को और प्रोत्साहन देकर भविष्य में उनके मनोबल में वृद्धि करेंगे ! खाली समय उन लोगों के व्यर्थ नहीं जाएंगे !
लोग डॉक्टर बन जाते हैं ,इंजीनियर बन जाते हैं ,सेना के पधाधिकारी बन जाते हैं और हर व्यक्ति अपने अपने पेशाओं से जुड़ जाते हैं ! हॉबबी एक ऐसी प्रक्रिया है जो पेशा से कभी भी भिड़ंत नहीं होती ! आप अपने मरीज का परीक्षण कर रहे हैं क्या आप हॉबबी के किसी प्रक्रिया को दुहरा सकते हैं ? मिलिटरी प्लानइनिंग के समय क्या अपनी हॉबबी की चर्चा कर सकते हैं ? पेशा अपनी जीविका के लिए है और अपनी हॉबबी अपने मनोरंजन के लिए !
अपने दिलोदिमाग से इन बातों को मिटा दें कि वे डॉक्टर हैं ,वे इंजीनियर या सेना पदाधिकारी उन्हें अपने हॉबबी के लिए समय कहाँ से मिल जाता है ? समय सबों को एक समान मिला है ! 24 घंटे के आलवे एक मिनट भी एक्स्ट्रा किसी को नहीं दिया गया है ! समय का सदुपयोग करना आप पर निर्भर करता है ! अपनी हॉबबी को मान्यता देते हुए अपना पेशा को बरकरार रखने वाला ही सफल माना जाता है ! यह सही है कि “जिंदगी अधूरी है जब हॉबबिओं से दूरी है!”
======================
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत
11.01.2023