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12 May 2024 · 1 min read

जा रहा है

दिन का चेहरा लाल हुए जा रहा है
सूर्य क्या कमाल हुए जा रहा है

पशु पक्षी तरू लता नर हैं विकल
सकल जन बेहाल हुए जा रहा है

तप रही बुखार से हर पल धरा ज्यों
टेम्परेचर सवाल हुए जा रहा है

स्वेद परिभाषा गरीबी की लगे
चैन भी कंगाल हुए जा रहा है

‘महज़’ प्रकृति ही करेगी कुछ यहाँ
सबका बुरा हाल हुए जा रहा है

डॉ० महेन्द्र नारायण ‘महज़’

Language: Hindi
2 Likes · 102 Views
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