जाल इसे कहते सब हैं (सवैया)
जाल इसे कहते सब हैं इसने इस जीवन को उलझाया,
प्रीत भरा इक गाँव बसा इसने हर रोज हमें तड़पाया,
जीव भला वह कौन जिसे इसने वश में कर के न रुलाया,
नाच नचाय रही जग को हमको तुमको सबको यह माया।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 09/12/2021