जारी है
अस्मत इनकी तार -तार करना जारी है
रूह इक पर अनगिनत जिस्म पुजारी है
आत्म नर पिशाचों का गंदगी में खो गया
खेल जो परदें के पीछें नारी यहीं हारी है
अस्मत इनकी तार -तार करना जारी है
रूह इक पर अनगिनत जिस्म पुजारी है
आत्म नर पिशाचों का गंदगी में खो गया
खेल जो परदें के पीछें नारी यहीं हारी है