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22 Sep 2016 · 1 min read

जारी है

अस्मत इनकी तार -तार करना जारी है
रूह इक पर अनगिनत जिस्म पुजारी है
आत्म नर पिशाचों का गंदगी में खो गया
खेल जो परदें के पीछें नारी यहीं हारी है

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
71 Likes · 319 Views
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