जामुनी दोहा एकादश
जामुन ऐसा पेड़ है, औषधि गुण भरपूर
सेवन इसका कीजिए, रहें चिकित्सक दूर
जामुन की लकड़ी धरो, टंकी भीतर आप
शैवाल न काई जमे, जल रहता टिप टाप
जामुन में हैं खूबियाँ, नाव चले बिन्दास
पानी में न ख़राब हो, लकड़ी इसकी ख़ास
कूप खुदाई तलहटी, जामुन लकड़ जनाब
उसे जमोट कहें सभी, हो ना कभी ख़राब
जल की रानी मीन है, जामुन लकड़ नरेश
पानी में न ख़राब हो, गुण यह ख़ास विशेष
भरे विटामिन आयरन, जामुन में भरपूर
पाचन करता पेट में, मधुमेह रहे दूर
हैं एंटी बैक्टीरियल, जामुन के हर पात
पात सुखाकर कीजिए, मंजन फिर दिन-रात
जामुन की जो छाल है, काम करे यूनीक
काढ़ा इस्तेमाल कर, कर दे छाले ठीक
एस्ट्रिंजेंट गुण हैं बहुत, जामुन फल जड़ छाल
खाते रहिये रात दिन, निकट न आवे काल
जामुन में जो आयरन, खून करे वो शुद्ध
जामुन नियमित खा रहे, भाई-बहन प्रबुद्ध
आई जामुन की लकड़, जलसूंघा के काम
उत्तम जल यूँ खोजकर, पाएँ वो ईनाम
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(1.) निजामुद्दीन स्थित एक बावड़ी (दिल्ली) के जीर्णोद्धार होने के उपरांत यह पाया गया कि लगभग 750-800 बरसों बाद भी उक्त बावड़ी के जल स्रोत बंद नहीं हुए थे। जबकि उसमें प्रयाप्त मात्रा में गाद जमा थी तथा अन्य अवरोधों के उपरान्त भी बावड़ी का मुख्य जलस्रोत प्रवाह जस का तस बना हुआ था। भारतीय पुरातत्व विभाग प्रमुख के अनुसार इस बावड़ी में अनोखी बात यह रही कि सात से आठ सदियाँ बीत जाने के बावजूद आज भी लकड़ी की वो तख्ती साबुत है, जिसके ऊपर निजामुद्दीन की यह बावड़ी बनी हुई थी। सर्वे में ही इस बात का पता चला कि उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता रहा है।
(2.) स्वास्थ्य कारणों से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन का फल-जड़-तना-छाल व पत्ते इत्यादि मानव शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसकी हर चीज का उपयोग वैध-हकीमों द्वारा प्राचीन समय से ही किया जाता रहा है। जामुन के आयरन व विटामिन देह में हीमोग्लोबिन की मात्रा को भी बढ़ाता है। अन्य रोगों जैसे मधुमेह, पेट का दर्द, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है।
(3.) जामुन की पत्तियों में मधुमेह रोधी (एंटी डायबिटिक) गुण पाए जाते हैं! यह रक्त में संकरा (चीनी) की मात्रा को पूर्णतया नियंत्रित करती है। अत: आप जामुन की पत्तियों से तैयार चाय का नियमित सेवन करें। इससे मधुमेह रोग को कम करने अत्यंत लाभ मिलेगा। यदि चाय का स्वाद आपको अच्छा नहीं लग रहा तो इसमें आप शहद अथवा नींबू के रस की बूंदे स्वादानुसार मिलाकर पी सकते हैं। दवा विक्रेताओं के पास आपको नीम, जामुन का पाउडर मिल जायेगा। गर्म पानी में इसे एक चम्मच उबाल कर चाय की भांति पियें।
(4.) जामुन की पत्तियों में जीवाणु नाशक (एंटी बैक्टीरियल) गुण भी मौजूद हैं. इसके निरंतर सेवन से मसूड़ों से आने वाले रक्त को रोकने में यह मददगार सिद्ध होता है। वहीं मुंह में होने वाले किसी भी संक्रमण को फैलने से यह रोकता है। जामुन की ताजातरीन पत्तियों को तोड़कर सुखा लें। फिर इसे दंत मंजन की तरह प्रयोग करें। नीम की तरह जामुन की लकड़ी का प्रयोग आप दातुन के रूप में भी कर सकते हैं।
(5.) पुराने समय से ही पानी चखने वाले (जलसूंघा) आज भी दूर-दराज के इलाकों में पानी सूंघने के लिए जामुन अथवा आम की लकड़ी का इस्तेमाल करते नज़र आते हैं। जलसूंघा उन्हें कहा जाता है जो भूजल सूंघकर उसका विश्लेषण किया करते हैं और सही जगह खोजने पर उन्हें ईनाम भी दिया जाता था।
(6.)आमतौर पर मुंह के छालों में जामुन की छाल से बना काढ़ा पुराने समय से ही इस्तेमाल करने का रिवाज़ भी रहा है। छाल में एस्ट्रिंजेंट गुण होने के कारण मुंह के छालों को ठीक होने में मदद मिलती हैं।