जान से प्यारा तिरंगा
रखा है शीर्ष से ऊपर,
सदा ही फहराया रहा ।
जान से प्यारा तिरंगा ,
कहीं झुक तो न रहा।।
सीने से लगा कर वह,
हर हाल में थामे रहा ।
सरहद ऊँची चोटी पर,
गगन में लहराता रहा।।
पीछे नही झांका वह,
वादे पर अडिग रहा ।
तिरंगा बसा कर दिल में ,
यौवन वतन चढ़ा रहा ।।
दुश्मन टोली कहर टूटा ,
सिंह सा वो लड़ता रहा।
हिन्द माटी से वो लिपटा,
गिर कर तिरंगा थामे रहा।।
आवाज देकर सोया है ,
सीमा प्रहरी जगा रहा ।।
झुके नही तिरंगा प्यारा,
गीत यह हमें सुना रहा ।
जान से है प्यारा तिरंगा,
नभ में वह दिखा रहा ।।
जान से है प्यारा तिरंगा,
सबको वह दिखा रहा ।।
जय हिंद, जय हिंद की सेना।
(रचनाकार- डॉ शिव ‘लहरी’)