जानो है अपने गाँव – गीत
जानो है अपने गाँव
जानो है अपने गाँव रे भैया, जानो है अपने गाँव रे
जा शहर ने न प्रीत निभाई का से करूँ मै प्रीत रे भैया
जानो है अपने गाँव रे ………………..
सरकार की दिखे उदासी, अँखियाँ रोवें प्यासी – प्यासी
कारोबार की नहीं है छाँव रे भैया , काम को हो रहो अभाव रे भैया
जानो है अपने गाँव ……………….
कूटनीति चल रहे हैं नेता , हमको झोंको सड़क पर
रेलगाड़ी चलती पटना को, पहुंचे बनारस रे भैया
जानो है अपने गाँव ……………….
खाने को न मिले है भोजन , पीने को नहीं पानी
अजब मुश्किल पडी है जिन्दगी , रोवे है जिंदगानी रे भैया
जानो है अपने गाँव ……………….
सपने अब सब हुए पराये, तन पटरी पर बिखरे
इंसानियत भी आंसू बहाए , गरीबन की आँखों से छलके रे भैया
जानो है अपने गाँव ……………….
मटर पनीर की चाह नहीं है , रूखा – सूखा कुछ मिल जाए
सरकारी रसोई का पता बता दो , भूख मिटा लें भैया
जानो है अपने गाँव ……………….
दुबके नेता घर में सारे , मौत का भय है सताए
नेतागिरी पर ख़तरा कैसा , जो धर्म की चाबुक चलाये रे भैया
जानो है अपने गाँव ……………….
मेरी माँ मेरी राह देखती , बहना करती इंतज़ार
चलनो है कई सौ कोस , पैरन छालों के साथ रे भैया
जानो है अपने गाँव ……………….
जानो है अपने गाँव रे भैया, जानो है अपने गाँव रे
जा शहर ने न प्रीत निभाई का से करूँ मै प्रीत रे भैया
जानो है अपने गाँव रे ………………..
सरकार की दिखे उदासी, अँखियाँ रोवें प्यासी – प्यासी
कारोबार की नहीं है छाँव रे भैया , काम को हो रहो अभाव रे भैया
नोट – यह रचना कोरोना काल में लिखी गयी है |