*जानो कछुआ देवता, हुआ कूर्म-अवतार (कुंडलिया)*
जानो कछुआ देवता, हुआ कूर्म-अवतार (कुंडलिया)
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जानो कछुआ देवता, हुआ कूर्म-अवतार
सदा सफलता पा रहा, इससे ही संसार
इससे ही संसार, डूब पर्वत कब पाया
सागर-मंथन भव्य, कूर्म करने को आया
कहते रवि कविराय, हमेशा शुभ ही मानो
रखो रजत-प्रतिरूप, लाभ शुभ इसमें जानो
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कूर्म = कछुआ
कूर्मावतार = भगवान विष्णु का अवतार
रजत = चॉंदी
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भगवान विष्णु का कूर्मावतार प्रसिद्ध है। समुद्र मंथन को कूर्मावतार अर्थात कछुए के रूप में भगवान के अवतार लेने से ही सफलता मिली। अन्यथा समुद्र-मंथन में पर्वत तो डूब ही जाता। इसलिए कछुआ पवित्र और सफलता का द्योतक माना जाता है।
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615 451