मानव
जाने क्यों मानव इतना बदलता जा रहा है।
अन्दर से पूरा खोखला दहलता जा रहा है।
कोई भी अब किसी का दुख दर्द नहीं बाँटता-
इन्सानियत खत्म हालात बिगड़ता जा रहा है।
-लक्ष्मी सिंह
जाने क्यों मानव इतना बदलता जा रहा है।
अन्दर से पूरा खोखला दहलता जा रहा है।
कोई भी अब किसी का दुख दर्द नहीं बाँटता-
इन्सानियत खत्म हालात बिगड़ता जा रहा है।
-लक्ष्मी सिंह