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10 Aug 2021 · 1 min read

जाने क्यूँ भटके मानव

मंदिर मस्ज़िद में कैद नही, रहता भी नही गुरुद्वारे में,
वह रहता है मन-मंदिर में, प्रकृति प्रेम उजियारे में ।
जिसमें श्रद्धा मानवता की, देवपुंज है देह वही,
पर जाने क्यूँ भटके मानव, अज्ञान और अंधियारे में।

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 393 Views
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