जाने क्या हो गया?
शीर्षक – “गीत -जाने क्या हो गया ?”
रचना – गीत
संक्षिप्त परिचय- ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़, जिला सीकर,राजस्थान
मो.9001321438
जाने क्या हो गया मेरे शहर को सनम !
ले के निकले हैं लोग,सितम प्यार के।
जलाने क्यों निकले, घर यार के।
किस कदर शहर मेरा,डूब गया प्यार से ।
जाने क्या हो गया,मेरे शहर को सनम !
मर मिटा है जहाँँ में, प्यार-वफा,
समझा दे तू ! मेरे शहर को सनम !
ना डूबो दर्दे दिल, नादान साथियों !
इश्क दरिया है आग का, शहर वासियों !
बचा लो कोई मेरे,शहर को सनम !
ना बेचो कोई गम, ना दिल के मर्म।
ना खोये मेरे कोई,दिलें जान ओ जिगर !
बस गई मेरे शहर में,हाला औ फिकर।
जाने क्या हो गया, मेरे शहर को सनम !
पसरा है आलम,आँँसू शहर में ।
गई भटक जवानी, मेरे शहर की।
संभलो मेरे शहर के, जवाँ दोस्तों !
बिखर कहाँँ गई हँसी दोस्तों !
परिंदे कहाँँ चले, छोड़ मेरे शहर को !
बचा लो यह जीवन मेरे शहर का —
दर्द दिलों के, मिटे शहर के।
ना बहाये कोई आँँसू , बना लहर के,
ना मिटाओ शहर , गम के जहर से।
बचाए कोई शहर, प्यार के कहर से ।
जाने क्या हो गया, मेरा शहर को सनम !