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25 Apr 2024 · 1 min read

जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।

जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
स्याह रात में हो गया, दिल से हसीं गुनाह।
आफ़ताब ने खोल दिए, शब् के सारे राज़ –
बंद पलक में शर्म को, आख़िर मिली पनाह।

सुशील सरना

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