जाना है
कभी ओढ़ लेते हो शब्दों की दुशाला ज्ञान लपेटकर
किया ही क्या है जिंदगी भर सौदेबाजी को छोड़कर
खिन्न नहीं छिन्न भिन्न भी हुआ है झूठ का हर जामा
सबने जाना है खुदा के पास सब कुछ यहीं छोड़कर
कभी ओढ़ लेते हो शब्दों की दुशाला ज्ञान लपेटकर
किया ही क्या है जिंदगी भर सौदेबाजी को छोड़कर
खिन्न नहीं छिन्न भिन्न भी हुआ है झूठ का हर जामा
सबने जाना है खुदा के पास सब कुछ यहीं छोड़कर