जानते हैं सभी — अकड़ना छोड़ दे ( मुक्तक)
जानते हैं सभी हम तो ,एक दिन सबको है जाना ।
खबर किसको कहां हमको, कौन सा पल वह है आना।।
छूट जाएगा यह मेला ,जाएगा तू तो अकेला।
निशानी छोड़ जा अपनी, रखता है याद जमाना ।।
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अकड़ना छोड़ दे साथी ,झगड़ना छोड़ दे साथी।
चला चल सीधी राहों पे,हर मानव को जो है भाती।।
जरा सा है जीवन तेरा,इसमें न कर तेरा मेरा।
सरलता अपना ले बंधु, क्रूरता छोड़ दे साथी।।
राजेश व्यास अनुनय