जाति आज भी जिंदा है…
जाति आज भी जिंदा है
भारत भूमि के कण कण में,
शोषण के समय
अत्याचार होते क्षण में ।
उन्नाव अन्याय के समय,
सत्ता में बैठे उस पद में,
पानी घड़ा से पीने को लेकर
प्यासे पिटते बच्चे के मन में ।
घोड़ी चढ़ते एस एस पी
उसको रोकते लोगों के मन में,
मूछों में ताव लगाए जितेंद्र
गंदगी उठे दरिंदों के तन में ।
बिटिया जब आगे बढ़ती हैं
गुर्गों के मन मचलते हैं,
लाख कोशिश हो बचने की
घटना हाथरस जैसी होती हैं ।
जाति देख वे देते शिक्षा
घृणा भी उठती उनके मन में,
जाति आज भी जिंदा है
भारतभूमि के कण कण में ।
देख जाति पशु से बिठाए विधायक
पीते वे छाछ ग्लासन में,
उन नेताओं का क्या होगा
जो रहते जाति के घर्षण में।
जाति अगर तू खो जाती
हो जाता भला निर्धन जन में,
जाति आज भी जिंदा है
भारतभूमि के कण कण में।
आर एस आघात
31/10/2023