जातिवाद का भूत
अपनी जाति का देख के नेता ,उसको यारा गुरुर हुआ।
छोड़ पार्टी अपनी वाली ,वह उस पार्टी में उतर गया।
जब जीत चुनाव नेताजी ,ऊंची कुर्सी पर जा बैठे ,
तब काम बताया नेताको तो वादे से अपने मुकर गया।
आया उसको होश तो बोला यारा मैं तो ठगा गया।
चढ़ा भूत जो जाति का था ,सारा झटके में पसर गया।
कलम घिसाई