Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2023 · 1 min read

जाड़ों की यह नानी (बाल कविता )

जाड़ों की यह नानी (बाल कविता )
**************************
चुलबुल शोख फरवरी आई
आकर मुक्का मारा,
बोली हैलो ! तगड़ा कितना
जाड़ा रहा हमारा ।।

इसमें देखो कितना कोहरा
पहले कभी न आया,
सूर्य देवता को भी हमने
इसमें खूब छकाया ।।

सभी महीने बोले मिलकर
माह फरवरी रानी ,
इसे न समझो सिर्फ वसंती
जाड़ों की यह नानी ।।
——————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

देश हमारा भारत प्यारा
देश हमारा भारत प्यारा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
शब्दों की मिठास से करें परहेज
शब्दों की मिठास से करें परहेज
Chitra Bisht
पाषाण जज्बातों से मेरी, मोहब्बत जता रहे हो तुम।
पाषाण जज्बातों से मेरी, मोहब्बत जता रहे हो तुम।
Manisha Manjari
जिंदगी और जीवन में अंतर हैं
जिंदगी और जीवन में अंतर हैं
Neeraj Agarwal
सबकी विपदा हरे हनुमान
सबकी विपदा हरे हनुमान
sudhir kumar
कोई विरला ही बुद्ध बनता है
कोई विरला ही बुद्ध बनता है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
नम्बर ह बखोर के
नम्बर ह बखोर के
सिद्धार्थ गोरखपुरी
#मैत्री
#मैत्री
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
"अंधविश्वास में डूबा हुआ व्यक्ति आंखों से ही अंधा नहीं होता
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
मुक्तक... छंद मनमोहन
मुक्तक... छंद मनमोहन
डॉ.सीमा अग्रवाल
परमूल्यांकन की न हो
परमूल्यांकन की न हो
Dr fauzia Naseem shad
" लालसा "
Dr. Kishan tandon kranti
बहुत खुश हुआ कुछ दिनों के बाद
बहुत खुश हुआ कुछ दिनों के बाद
Rituraj shivem verma
उम्मीद
उम्मीद
शेखर सिंह
सम्भाला था
सम्भाला था
भरत कुमार सोलंकी
चार शेर मारे गए, दर्शक बने सियार।
चार शेर मारे गए, दर्शक बने सियार।
*प्रणय*
मुझे इमकान है
मुझे इमकान है
हिमांशु Kulshrestha
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
गिरगिट रंग बदलने लगे हैं
गिरगिट रंग बदलने लगे हैं
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आप खास बनो में आम आदमी ही सही
आप खास बनो में आम आदमी ही सही
मानक लाल मनु
वफ़ा
वफ़ा
shabina. Naaz
आम
आम
अनिल कुमार निश्छल
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
कहावत है कि आप घोड़े को घसीट कर पानी तक ले जा सकते हैं, पर म
कहावत है कि आप घोड़े को घसीट कर पानी तक ले जा सकते हैं, पर म
इशरत हिदायत ख़ान
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मिट्टी के परिधान सब,
मिट्टी के परिधान सब,
sushil sarna
आप या तुम
आप या तुम
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मन का महाभारत
मन का महाभारत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*डॉक्टर चंद्रप्रकाश सक्सेना कुमुद जी*
*डॉक्टर चंद्रप्रकाश सक्सेना कुमुद जी*
Ravi Prakash
पौधे दो हरगिज नहीं, होते कभी उदास
पौधे दो हरगिज नहीं, होते कभी उदास
RAMESH SHARMA
Loading...