जाग मछेंदर गोरख आया
छोड़ दुनिया का
मोह-माया
जाग मछेंदर
गोरख आया…
(१)
सोए-सोए
सदियां गुजरीं
सपनों में क्या
तूने पाया
जाग मछेंदर
गोरख आया…
(२)
इससे पहले
कि माटी में
मिल जाए
माटी की काया
जाग मछेंदर
गोरख आया…
(३)
जिसके पीछे
दौड़ रहा तू
वह तो केवल
एक छाया
जाग मछेंदर
गोरख आया…
(४)
हंसा चला था
मोती चुगने
उसको दाना
कैसे भाया
जाग मछेंदर
गोरख आया…
(५)
तेरा ठिकाना
दूर देश है
इन महलों में
क्यों भरमाया
जाग मछेंदर
गोरख आया…
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Shekhar Chandra Mitra
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