जागो माँ के प्यारे
जागो माँ के प्यारे जागो, जागो राज दुलारे।
अभी समय है मिल जाएंगे हक अधिकार तुम्हारे।।
व्यक्तिगत जीवन की छोड़ो, हर पीढ़ी की सोचो।
कैसे उस मंजिल तक चढ़ना, उस सीढ़ी की सोचो।
आसमान को छू लोगे तो, छू लोगे तुम तारे।
अभी समय है मिल जाएंगे हक अधिकार तुम्हारे।।
जागो माँ के प्यारे जागो, जागो राज दुलारे।
कठिन समय में कौन है किसका, जीवन ने दिखलाया।
हर ठोकर से अनुभव आया, कुछ न कुछ सिखलाया।
कष्टों से गर बचना है तो, एक हो जाओ सारे।।
अभी समय है मिल जाएंगे हक अधिकार तुम्हारे।।
जागो माँ के प्यारे जागो, जागो राज दुलारे।
झूम-झूम के तब नाचोगे, जब बच्चा गाएगा।
बूढ़ी आँखे मुस्काएँगी, अमन चैन छाएगा।
तन-मन-धन सब आज लगा दो, कल पर न छोड़ो प्यारे।
अभी समय है मिल जाएंगे हक अधिकार तुम्हारे।।
जागो माँ के प्यारे जागो, जागो राज दुलारे।
यह खेला है दुनिया का जो आता, वो जाता है।
श्रेष्ठ वही जो दुनिया को, कुछ न कुछ दे जाता है।
पदचिन्हों संग छोड़ जाओ, मंतर जीवन के सारे।।
अभी समय है मिल जाएंगे हक अधिकार तुम्हारे।।
जागो माँ के प्यारे जागो, जागो राज दुलारे।
संतोष बरमैया #जय