“जागो अब सरकार”
“राम राज तो रहा ना बाकी, जब से कलयुग आया ,
पाप ने घर-घर जाकर देखो, कैसे पाँव फैलाया ,
जो फूल घरों की बगिया को बरसो महकाया करती ,
वो डोली चढ़ने से पहले अब अर्थी पर जाती ,
जागो,जागो अब सरकार,रोको बढ़ता अत्याचार ,
बेटी बचाने की पहल हो जाए ना बेकार ,
चहुँओर मची हुईं है जग में हाहाकार ,
जागो,जागो अब सरकार ,रोको बढ़ता अत्याचार ,
चन्द माह के बच्ची की, जां ले लेते हैवान ,
दुष्कर्म करें संग उसके, हवस में अंधे हैं शैतान ,
द्रोपदी की सुन चीख स्वयं आए थे भगवान,
जो अबोध ना बोल सकी, रह गये उससे अंजान ,
आते आज अगर हो जाता, उनको ज़रा भी भान ,
मुश्किल में है धरती पर, लाखों मासूमों की जान ,
जो कहते है रेप का कारण होता है परिधान ,
मासूमों संग इस घटना पर क्या देंगे वो ज्ञान ,
जागो,जागो अब सरकार, रोको बढ़ता अत्याचार ,
कान्हा की तो खबर नही, दुशासन घर -घर पाते ,
रोज़ सुबह खबऱों में कोई दुर्घटना सुन जाते ,
घृणा हैं हत्याओं पर भी नेता सियासत करते हैं ,
सांप्रदायिकता के रंग में ऐसी घटना को रंग देते हैं ,
मासूमो के ज़ख़्मों पर धर्म का रंग चढ़ाते हैं ,
भगवा है या हरा देखकर हाल पूछने जाते हैं ,
हैवानों की हरकत से बढ़ रहा है अत्याचार ,
इंसान नही हो सकते जो इंसानियत करते शर्मसार ,
विकृत मानसिकता ऐसी घटना को दर्शाती है ,
बोलना भी ना सीखी थी, वो कफ़न में आज समाती है ,
मासूमों की घायल रूह कर रही हैं यह चीत्कार ,
जागो,जागो अब सरकार, रोको बढ़ता अत्याचार ,
बेटी बचाने की पहल हो जाए ना बेकार ,
जागो,जागो अब सरकार, रोको बढ़ता अत्याचार “