जागृत मन
छोटे मन से बड़ा काम, न होएगा।
गधा कभी घोड़े सा भार न ढोएगा ।।
मन जागे से जगा समझ, तन जागे क्या होएगा।
घंटो तक बकवास करेगा, खायेगा और सोएगा।।
अगर जगाया मन को तुमने, तन तो कार्य करेगा ही।
न देश, समाज, परिवार की खातिर, अपने लिए मरेगा ही।।
जय हिंद