जागृत करें विवेक … :छंद कुंडलिया
(१)
दानवता के दौर की महिमा बहुत विचित्र,
आतंकी ट्रक आ रहा, हटें बचें ऐ मित्र.
बचें हटें ऐ मित्र, मानवों का भक्षक है.
रौंद रहा जो धर्म, दानवों का तक्षक है.
शीघ्र करें प्रतिकार, यही कहती मानवता.
ब्रह्म अस्त्र लें साध, दूर होगी दानवता..
(२)
आतंकी के कर्म हैं, राक्षस असुर समान.
मनुज नहीं ये हैं दनुज. दानव ही लें मान.
दानव ही लें मान, समर्थन में जो आये.
अथवा हो वह मौन, असुर वह भी कहलाये.
तदनुरूप व्यवहार करें सोंचें जन जन की.
दोजख में दें भेज, जलाकर ये आतंकी..
(३)
शैतानी मष्तिष्क के भँवरजाल में लिप्त.
किये स्वार्थी तत्व ने, धर्मग्रन्थ प्रक्षिप्त.
धर्मग्रन्थ प्रक्षिप्त, सत्य कैसे पहचानें.
जागृत करें विवेक, उसी का निर्णय मानें.
बढ़े आत्मविश्वास, दूर दुविधा हैरानी.
परिमार्जित हों ग्रन्थ, वृत्ति घातक शैतानी..
— इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’