जागरूकता
चार दिन बाद अपने घर आने में जो सुख है वो अवर्णनीय है लेकिन वो सुख उस वक्त थोड़ा कम होता दिखा जब मुन्नी ( हैल्पर ) के आने का समय बीत गया ।
” राजन लगता है अब मुन्नी नही आयेगी निशा ने पति से दुखी आवाज़ में कहा । ”
” फोन करके पूछ लो । ”
” हेलो…हेलो मुन्नी आज आई क्यों नही ? ”
” क्या बतायें आंटी जी मेरा पति कल रात में हमको बहुत मारा है रोते हुए मुन्नी बोल रही थी । ”
” मारा है दिमाग खराब हो गया है क्या उसका…गुस्से में मेरी आवाज़ तेज हो गई । ”
” पुरा मुंह फूल गया है छाती पर चढ़कर मारा है गर्दन पकड़कर गिरा दिया है बहुत दरद हो रहा है…नही नही आंटी जी हम तो बस दो – चार हाथ मारे रहे , मुन्नी के हाथ से फोन छीनकर उसके पति ने कहा । ”
” दो – चार हाथ भी मारने की हिम्मत कैसे हुई अभी रिपोर्ट करती हूॅं तुम्हारी मैं जोर से डांटते हुए बोली । ”
” अरे आंटी जी हम मारे हैं तो ये भी हमारा पूरा मुंह नोच ली है और बहुत मारी भी है । ”
” एक सूकून की सांस लेते हुए मैंने फोन काट दिया । ”
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 08/01/2022 )