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24 Oct 2024 · 1 min read

ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,

ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,

ये कुछ ग्राम का मोबाइल भारी पड़ गया है रिश्तों पर..!

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