ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,
ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,
ये कुछ ग्राम का मोबाइल भारी पड़ गया है रिश्तों पर..!
ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,
ये कुछ ग्राम का मोबाइल भारी पड़ गया है रिश्तों पर..!