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9 Aug 2024 · 1 min read

ज़िन्दगी! कांई कैवूं

ज़िन्दगी! कांई कैवूं तन्ने
बस मुसाफिर सो बणा
दियौ हैं अणदैख्यां मारगां रौ
मजल री तलास में भटकतौ
अणगिणत सुपणां लियोड़ा
सोधै रयौ हूं आपणौ ठिकाणौ
जिणरौ कोई अतौ-पतौ नी हैं।

जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️

Language: Rajasthani
55 Views
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