ज़िन्दगानी में ऐसा हाल न हो ।
ज़िन्दगानी में ऐसा हाल न हो ।
तुमको खोकर मुझे मलाल न हो।
मुख्तलिफ़ लोग साथ रह लेंगे,
दरमियां सोच का बवाल न हो।
भीग जाएगा अश्कों से दामन,
मेरे हाथों में गर रूमाल न हो।
ज़िंदगी पर यक़ीन आ जाता,
मौत का गर हमें ख़्याल न हो।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद