ज़िंदगी से इस कदर कोई परेशां क्यों है !
ज़िंदगी से इस कदर कोई परेशां क्यों है !
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
ज़िंदगी से इस कदर कोई भी परेशां क्यों है।
कहीं ऊंचा तो कहीं पे नीचा आसमां क्यों है।
माना, बुरे वक्त भी जीवन में आते हैं कभी….
फिर भी कम पड़ते मनुज के अरमां क्यों हैं।।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 28-08-2021.
“””””””””””””””””””””””””””””
????????