ज़िंदगी यूँ तो बड़े आज़ार में है,
ज़िंदगी यूँ तो बड़े आज़ार में है,
हाँ! मगर जो तू है तो किस बात का ग़म?
तू है, तो हैं इश्क के नग़में अमर सब,
पर तू ना हो तो, कहीं के ना रहें हम।
ज़िंदगी यूँ तो बड़े आज़ार में है,
हाँ! मगर जो तू है तो किस बात का ग़म?
तू है, तो हैं इश्क के नग़में अमर सब,
पर तू ना हो तो, कहीं के ना रहें हम।