ज़िंदगी बे’जवाब रहने दो
ज़िन्दगी बे’जवाब रहने दो ।
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो।।
खुद की इस्लाह कर सकूं मै भी।
मुझको कुछ तो खराब रहने दो।।
इतने ज़यादा गुनाह नहीं अच्छे।
कुछ तो बाकी सवाब रहने दो।।
देख लो एक नज़र मुझे यूँ ही।
मुझमें शामिल शबाब रहने दो।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद