ज़िंदगी को इस तरह
ज़िन्दगी को इस तरह
थोड़ा जी भी लिया करो ।
हंसने के साथ थोड़ा
रो भी लिया करो |।
हो जाये कोई बात
तो दर-गुज़र किया करो ।
गुस्से के घूँट को थोड़ा
पी भी लिया करो ।।
उम्मीद रखना दूसरों से
बिल्कुल फिज़ूल है।
ज़ख्मों को खुद ही
सी भी लिया करो ।।
मुख़्तसर हयात का
भरोसा नहीं है कुछ ।
शर्तों पर खुद की थोड़ा
जी भी लिया करो ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद