ज़िंदगी का सवाल
ज़िंदगी का सवाल आया है ।
मुझको मेरा ख़्याल आया है ।।
झूठ ने सच को मार डाला है ।
वक़्त कैसा कमाल आया है ।।
आईना सामने जब आया है ।
दिल में मेरे मलाल आया है ।।
हर तरफ़ ख़ौफ़ है तबाही का ।
हाय कैसा ये साल आया है ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद