ज़रा-सी बात चुभ जाये, तो नाते टूट जाते हैं
ज़रा-सी बात चुभ जाये, तो नाते टूट जाते हैं
हो दुर्व्यवहार तो सब, लोग अच्छे छूट जाते हैं
मिले ज़्यादा ही अपनापन, ये भी अच्छा नहीं यारो
लगे इक ठेस तो, नफ़रत के शोले, फूट जाते हैं
जहां नाहक हुआ बैठा है, दुश्मन इश्क़ वालों का
सजाऊँ ख़्वाब उल्फ़त के, तो सपने टूट जाते हैं
अकेले में मटरगश्ती करूँ जो, मैं कभी छिप के
पकड़ के यार मुझको, इक सिरे से कूट जाते हैं
–महावीर उत्तरांचली