ज़ख्म भरे ही नही बहुत बार तुरपन कर के देखे है
तुम याद ना आओ जतन वो सब कर के देखे है
दिल लग जाए कही ये भी सनम कर के देखे है
सुर्ख आंखो से हमारी कुछ बहता ही रहता है
ज़ख्म भरे ही नही बहुत बार तुरपन कर के देखे है
प्रज्ञा गोयल ©®
तुम याद ना आओ जतन वो सब कर के देखे है
दिल लग जाए कही ये भी सनम कर के देखे है
सुर्ख आंखो से हमारी कुछ बहता ही रहता है
ज़ख्म भरे ही नही बहुत बार तुरपन कर के देखे है
प्रज्ञा गोयल ©®