जहां हो तुम
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यार हमारे कहाँ हो तुम,
खूब उठा वो धुआँ हो तुम।
सांस बचे हैं बहुत ही कम,
साथ मरेंगे जहाँ हो तुम।
रोक सका ना कभी कोई,
साथ चलो कारवाँ हो तुम।
गीत नज़्म और गजलें भी,
प्यार भरा सा बयाँ हो तुम।
जोड़ सके नाम रमनसीरत,
ढूंढ रहे हम जहां हो तुम।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)