*”जहां भी देखूं नजर आते हो तुम”*
“जहां भी देखूं नजर आते हो तुम”
मुश्किल में पड़ जाते हम ,
तब कुछ ना सूझे बावरे मन को,
सपनों को साकार करने,
जब साक्षी भाव हाथ जोड़ कर,
शीश झुकाए खड़ी हुए,
हे प्रभु समीप आकर ,
अंतर्मन में दर्शन दे जाते हो तुम ….
जित देखूं उत तुम ही नजर आते हो तुम…
राह भटकने लगे जब कुछ ना समझ आए,
हाथ बढ़ा कर सहारा दे जाते हो तुम..
हिम्मत दे हौसला बढ़ाते हो तुम ..
इधर उधर नित ढूंढ रही हूं,
कान्हा दीवाना बना दिया,
हर क्षण स्वांस में बसे हो तुम ,
गूंजती बंशी की धुन पांवों की थाप ,
आहट सुनाई देती जैसे पास खड़े हो तुम,
हृदय मन में बस गए हो तुम,
अब सामने आके दर्श दिखाओ ना तुम ,
जहां भी देखूं नजर आते हो तुम……
शशिकला व्यास शिल्पी ✍️