जहाँ वजूद नही तेरा
खुशबु तेरी के लिये ही तो तरसता हूँ मै
जहाँ वजूद नही तेरा कहाँ बरसता हूँ मै
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होती हो तस्व्वुर में तन्हाई में भी हँसता हूँ
तू नही तो महफ़िल में भी कहाँ हँसता हूँ मै
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कपिल कुमार
06/08/2016