जहरीले और चाटुकार ख़बर नवीस
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जहरीले और चाटुकार ख़बर नवीस
परदे के पीछे छुप कर,
बोलते भरम के बोल
जला घर किसका मरा कौन
आँच कहाँ है जाती रोते किसके माँ बाप हैं
इनका उससे क्या है मोल ?
अमरत्व के भरम जाल में
फँसे हुए हैं जैसे कभी मरेगा ही नहीं
ख़नक सिक्कों की अपने ग़ल्ले में
इनका यही बस मधुर संगीत है
बेच ज़मीर चाटुकार बाज़ार में
सोना अपने घर में बोते है
खुले आम सच को तोड़-मरोड़,
हैं बेचते ये जहरीले ख़बर नवीस
और झूठी ख़बरें बेच कर लाशों की
अपने धन का वज़न बढ़ाते हैं
अतुल “कृष्ण”