*जश्न अपना और पराया*
जश्न अपना और पराया
जश्न अपने यहाँ हो तो खुशहाली और दूसरे के यहाँ ढोल ढमाके बजें तो कान फूटते हैं, ज्यादा रात में बजें तो नींद खराब होती है… ऐसे लोगों को जल कुकड़ा कहते हैं। ऐसे लोगों को हमेशा समस्या ही रहेगी , मूड खराब हमेशा रहेगा, क्योंकि जो दूसरों की खुशी में खुश नहीं हो सकता वो कभी सुखी नहीं रह सकता । क्योंकि ऐसी कोई जगह ही नहीं है जहाँ लोग खुशी न मनाते हों , इसलिए नाच गाना ढोल ढमाका कहीं न कहीं बजते ही रहेंगे….मूड खराब करने से बेहतर है आप सोच लीजिए अपने घर का ही फंक्शन है आपको बिना पैसा खर्च करे जश्न का माहौल मिल रहा है ये तो खुशी की बात है। जिसके लिए नगाड़े बज रहे हैं उसके लिए ब्लेसिंग दो आपको भी प्रसन्नता मिलेगी फिर ढोल की तेज आवाज पर आपके भी पैर थिरकने लगेंगे मन झूमने लगेगा।
बात नजरिए की है सोच की है जैसे विचार होंगे मन भी वैसा ही सोचेगा । तो अच्छा सोचिए और खुश रहिए औरों को भी खुशी मनाने दीजिए ।
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 06 जुलाई 2024 )