जवान औ किसान
जवान औ किसान
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हिन्द के जवान तुम,वीर हो महान तुम।
रक्षण में जान तक,आप ही लुटाते हो।।
दुश्मन को मार कर,रीपु का संघार कर।
राष्ट्र के धरोहर को,आप ही बचाते हो।।
अन्नदाता भूमिपुत्र,राष्ट्र समृद्धि के सूत्र।
मेहनत से आप ही ,राष्ट्र को खिलाते हो।।
गर्मी जाड़ा बरसात,देखते न दिन रात।
कठिन कर्म करके,देश को जिलाते हो।।
…………✍️✍️स्वरचित, स्वप्रमाणित
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार..८४५४५५
मो.नं.९५६०३३५९५२