Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Oct 2024 · 1 min read

जल कुंभी सा बढ़ रहा,

जल कुंभी सा बढ़ रहा,
लिव-इन का अब रोग ।
प्रतिबंधों से हो गया,
मुक्त वासना भोग ।।
सुशील सरना / 13-10-24

28 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रमेशराज के बालगीत
रमेशराज के बालगीत
कवि रमेशराज
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
रिश्तों की डोर
रिश्तों की डोर
मनोज कर्ण
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
shabina. Naaz
..
..
*प्रणय*
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
जो बातें अनुकूल नहीं थीं
जो बातें अनुकूल नहीं थीं
Suryakant Dwivedi
"शायरा सँग होली"-हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मेरी जान बस रही तेरे गाल के तिल में
मेरी जान बस रही तेरे गाल के तिल में
Devesh Bharadwaj
सुख भी बाँटा है
सुख भी बाँटा है
Shweta Soni
जागो जागो तुम,अपने अधिकारों के लिए
जागो जागो तुम,अपने अधिकारों के लिए
gurudeenverma198
तू ठहर चांद हम आते हैं
तू ठहर चांद हम आते हैं
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*डॉंटा जाता शिष्य जो, बन जाता विद्वान (कुंडलिया)*
*डॉंटा जाता शिष्य जो, बन जाता विद्वान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"आज की कविता"
Dr. Kishan tandon kranti
-Relationships require effort.
-Relationships require effort.
पूर्वार्थ
प्यार दीवाना ही नहीं होता
प्यार दीवाना ही नहीं होता
Dr Archana Gupta
मुक्तक
मुक्तक
गुमनाम 'बाबा'
अगर आप किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं हैं,तो कम से कम उन्
अगर आप किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं हैं,तो कम से कम उन्
Paras Nath Jha
मेरी कलम से
मेरी कलम से
Anand Kumar
अहा! जीवन
अहा! जीवन
Punam Pande
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
Bhupendra Rawat
3046.*पूर्णिका*
3046.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमने कब कहा था , इंतजार नहीं करेंगे हम.....।।
हमने कब कहा था , इंतजार नहीं करेंगे हम.....।।
Buddha Prakash
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
काश जज्बात को लिखने का हुनर किसी को आता।
काश जज्बात को लिखने का हुनर किसी को आता।
Ashwini sharma
पहले लोगों ने सिखाया था,की वक़्त बदल जाता है,अब वक्त ने सिखा
पहले लोगों ने सिखाया था,की वक़्त बदल जाता है,अब वक्त ने सिखा
Ranjeet kumar patre
व्यक्ति और विचार में यदि चुनना पड़े तो विचार चुनिए। पर यदि व
व्यक्ति और विचार में यदि चुनना पड़े तो विचार चुनिए। पर यदि व
Sanjay ' शून्य'
दिल से
दिल से
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...