जल का महत्व — “”पानी पानी पानी रे””
पानी पानी पानी रे ,जन-जन की जिंदगानी रे ।
पैसों से ना प्यास बुझेगी, काहे करे नादानी रे ।
पानी पानी पानी रे — जन-जन की जिंदगानी रे।।
(१) धड़ धड़ करती भारी मशीनें,
धरती का सीना चीर रही ।
छलनी होती कुछ ना करती,
अंदर मिलता नीर नहीं।
संभल जा अब नादा इंसान- ना कर ख़तम कहानी रे ।।
पानी पानी पानी रे- जन जन की जिंदगानी रे ।
(२) शासन और प्रशासन तो,
तेरे अपने बनाए हैं।
पर कुदरत पे तूने रे बंदे,
क्यों औजार चलाएं हैं।
तेरी करनी का ही यह फल ,भोगे हिंदुस्तानी रे।।
पानी पानी पानी रे –जन-जन की जिंदगानी रे ।।
(इस गीत के दो चरण बाद में प्रकाशित करूंगा)
— राजेश व्यास अनुनय