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6 Jun 2021 · 1 min read

जल कब बरसेगा —- घनाक्षरी

तप तप तप रहा, तपन से धरातल।
जल कब बरसेगा,सबकी पुकार है।।
गरम गरम लू से,बदन ये जल रहा।
नभचर जलचर,सबकी हुंकार है।।
सही तपन न जाए,अब बदरिया छाए।
बुझाए बुझाए प्यास ,सबकी गुहार है।।
सुन सबका विलाप,दिखा प्रकृति प्रताप।
गिरी रिमझिम अब,जल की फुहार है।।
राजेश व्यास अनुनय

3 Likes · 6 Comments · 260 Views
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