जल्दी आओ राम सिया रो रही
जल्दी आओ राम सिया रो रही
दुष्ट के हाथों में पड ज्या खो रही
ऐसी अबला नार को तू ना सता
खोल कर बतला दे मेरी क्या खता
झगड़ा कितनी देर से मै झो रही
दुष्ट के हाथों ……
आपने भी बहुत सी समझाई थी
उल्टी बुद्धि समझ में ना आई थी
आंसुओं से पाप अपने धो रही
दुष्ट के हाथों …..
कह रहा बलदेव तूने क्या करी
दोष लाया लक्ष्मण पर ना डरी
रेखा बंधन तोड़ तंग खुद हो रही
दुष्ट के हाथों……