जलियांवाला बाग
*जलियांवाला बाग *
भगत सिंह ने देखा जब जलियांवाला बाग चेहरा हो गया लाल भगत का,
सीने में लग गई आग,
देखा जब जलियांवाला बाग।
घुटनों के बल बैठे,
माथा दिया टेक,
रक्त रंजित उसे मिट्टी से,
किया फिर अभिषेक,
किया फिर अभिषेक,
गुंजा प्राणों का तार तार,
मां तेरी आजादी के लिए,
मुझे शहादत भी स्वीकार
मुझे शहादत भी स्वीकार।।
डायर मेरे दिल में रहेगी तेरी याद
बहुत जल्दी होगा अंग्रेजी शासक बर्बाद
सरकार की हर बात नहीं मौत से कम
गुलामी की बेड़ी काटेंगे,भारत मां की हम।
मौत से बड़ी सजा हम झेल रहे हर रोज़
आज से शुरू होगी क्रांतिकारियों की खोज
दल पूरा तैयार हुआ,
हथियारों की अड़ी बात,
बिस्मिल जी ने बिछा दी हथियारों की बिसात
क्रांतिकारी इकट्ठे हुए हैं,
सूचित किया औरों को,
जंग का बिगुल बज चुका,
भगाएंगे हम गौरों को।।
हम भारत के वीर हैं,
कायरों की संतान नहीं,
अंग्रेजों को मार भगाओ,
भारत की अब शान यहीं।।
फरवरी 1931 तक,
अंग्रेजों में मचा दिया कोहराम,
हर भारतवासी के दिल पर,
छप गया भगत का नाम,
आजादी के दीवानों को,
श्याम करे शत-शत प्रणाम।।
चेहरा हो गया लाल भगत का,
सीने में लग गई आग,
देखा जब जलियांवाला बाग,
देखा जब जलियांवाला बाग।।
🌹श्याम लाल धानीया 🌹
(अध्यापक)
हांसी -हिसार-हरियाणा।
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