जलियांवाला बाग काण्ड शहीदों को श्रद्धांजलि
*बैसाखी पर्व पर जलियांवाला बाग में शहीद हुए
अमर शहीदों को श्रद्धांजलि*
सन् उन्नीस सौ उन्नीस में आया रौलेट एक्ट
हिंदूस्तानी जनता ने उसको किया रिजेक्ट।
गली गली औ चौबारों पर होने लगी चर्चाएं
भारत माता की धरती पर नहीं है ये परफेक्ट।।
धधक रही थीं ज्वालाएं आजादी के मतवालों में
कब तक झेलेगी ये जनता कब-तक हों एडजेस्ट ।
नौजवान लेकर निकले थे जलती हुई मशालों को
छाती तान निकल पड़े थे दिखते थे एवरेस्ट।।
कैसे कैसे बने नियम हैं मानो हैं ये गेस्ट
भारत माता की धरती पर नहीं है ये परफेक्ट।।
रौलेट एक्ट नहीं मानेंगे सबने तब ये ठान लिया
नहीं चलेगी तानाशाही करना होगा रिजेक्ट।
बैसाखी सब मना रहे जब जलियांवाला बाग में
भारत माता की जयकारों से ब्रिटिश हुए सचेष्ट।।
चलीं गोलियां डायर की जो थीं नहीं यथेष्ट
भारत माता की धरती पर नहीं है ये परफेक्ट।।
तेरह अप्रैल उन्नीस सौ उन्नीस बना काल वहां
बैसाखी के पर्व पर जो था नहीं करेक्ट।
बाग घिरा था तीन तरफ से सबको मार गिराए
अंग्रेजों की करतूतों से कुछ हो गये निष्चेष्ट।।
गोली चली चली वहां जहां थे एक्यूरेट।
भारत माता की धरती पर नहीं था ये परफेक्ट।।
नमन करें हम तुम्हें शहीदों श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं
जब तक सूरज चांद रहेगा मानेंगे हम बेस्ट।
जिनके बलिदानों से मिली हमें आजादी है
बलिदानों से नयी चेतना का होता इम्पेक्ट।।
गोली चली, चली वहां ,जहां थे एक्यूरेट।
भारत माता की धरती पर नहीं है ये परफेक्ट।।
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**मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर’