जलहरण घनाक्षरी
जलहरण घनाक्षरी – घनाक्षरी छंद के इस भेद में 32 वर्ण होते हैं। 8,8,8,8 वर्णों पर यति का प्रयोग किया जाता है; अंत में लघु लघु (।। ) वर्णों का प्रयोग अनिवार्य होता है।
(1)
आया है सावन मास ,शुभ दिन सोमवार,
गूँज रहा चहुँदिशि, महादेव हर हर।
मंदिर के द्वार खड़े,मन में उमंग लिए,
थके नहीं भक्त कोई,इंतज़ार कर कर।
बेलपत्र भाँग साथ,अक्षत धतूरा पुष्प,
साथ में चढ़ाएँ सब, दूध लोटा भर भर।
पूरी होगी साध हर,आस यह धारि उर,
पूजें भोलेनाथ जग,दानी ख्यात अवढर।।
जलहरण घनाक्षरी (2)
पढ़े- लिखे,अनपढ़,जीविका विहीन घूमें,
उत्तरदायी चुप हैं ,विकट बेकारी पर।
बढ़ रही महंगाई,मचा हुआ हाहाकार,
ध्यान नहीं देता कोई,किसी भ्रष्टाचारी पर।
त्राहि-माम,त्राहि-माम,लोग सारे कर रहे,
दिखता उपाय नहीं ,रोते हैं लाचारी पर।
पूर्ण होगी आस हर,कहते हैं सभी यही,
सदा ही भरोसा रखो,भोले त्रिपुरारी पर।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय