जलने दो
रोको मत बढ़ते राही को, नित्य निरन्तर चलने दो।
जग उजियारा हो जायेगा, रात अँधेरी ढलने दो।
आज उलूकों की बस्ती में, हाहाकारी मातम है,
जो सूरज के तीव्र ताप से, जलता उसको जलने दो।।
-श्रीकान्त निश्छल
रोको मत बढ़ते राही को, नित्य निरन्तर चलने दो।
जग उजियारा हो जायेगा, रात अँधेरी ढलने दो।
आज उलूकों की बस्ती में, हाहाकारी मातम है,
जो सूरज के तीव्र ताप से, जलता उसको जलने दो।।
-श्रीकान्त निश्छल