जलता क्यों जमाना है ___ मुक्तक
जलता क्यों जमाना है तेरी मेरी इस यारी से।
बिखेरी प्रीत ही हमने प्यार की प्यारी क्यारी से।।
खिलने दो फूलों को यारों महकती खुशबू बिखरेगी।
काटते काहे को हमको हाथ में ले के कटारी से।।
राजेश व्यास अनुनय
जलता क्यों जमाना है तेरी मेरी इस यारी से।
बिखेरी प्रीत ही हमने प्यार की प्यारी क्यारी से।।
खिलने दो फूलों को यारों महकती खुशबू बिखरेगी।
काटते काहे को हमको हाथ में ले के कटारी से।।
राजेश व्यास अनुनय